This is blog for music lover and music learner's who can free to learn classical INDIAN vocal music
Monday, February 16, 2009
Saturday, February 14, 2009
वेलेंटाइन डे : सिर्फ प्यार करने का दिन नहीं
प्यार एक सुहाना अहसास है। साथ ही मन की सबसे प्रभावशाली प्रेरणा भी है। आज इस शब्द की आड़ में जो मिथ्या आचरण किया जाता है वह चिंता का विषय है लेकिन इसका अर्थ यह तो नहीं हो सकता है कि प्यार करने वालों के ही विरुद्ध हम खड़े हो जाएँ। प्यार की खूबसूरती पर सदियों से बहुत कुछ लिखा पढ़ा और सुना जा रहा है। बावजूद इसके, इसे समझने में भूल होती रही है। प्यार वास्तव में दान की भावनात्मक प्रवृत्ति है। इसमें आदान अर्थात प्राप्ति की अपेक्षा नहीं रहती। प्यार तभी प्यार कहा जा सकता है जब उसकी शुद्धता, संवेगात्मक गहनता और विशालता कायम है। अशुद्ध और संकुचित प्यार न सिर्फ दो व्यक्तियों का क्षरणकारी है, बल्कि समय बीतने पर दो भविष्यों के स्याह होने की वजह भी। प्रेम पर्व महज प्रेम करने का अवसर नहीं है, बल्कि प्रेम को समझने का पड़ाव भी है।
वेलेंटाइन-डे
पश्चिम से आया है, इसलिए विवाद के स्वर उभर रहे हैं। पश्चिम का यह दत्तक त्योहार यदि भारतीय संस्कृति के अनुरूप परिधान धारण कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराता तो भला किसे आपत्ति हो सकती थी। दु:ख इस बात का है कि दत्तक त्योहार यहाँ के परिधान ग्रहण करें उससे पहले तो यहाँ की मिट्टी में रचे-बसे त्योहारों ने अपने पहनावे को उतारना-नकारना आरंभ कर दिया है।सच सिर्फ यह नहीं है कि बाहर की गंदगी हमें विनष्ट कर रही है बल्कि सच यह भी है कि हमारे अपने भीतर बहुत कुछ ऐसा जन्म ले रहा है, पनप रहा है जो हमें हमारे अस्तित्व को हमारी सभ्यता को बर्बाद कर रहा है। जाहिर है समाधान भी कहीं और से नहीं, बल्कि हमारे अपने अन्तरतम से ही आएगा , यदि ईमानदार कोशिश की जाए। शुरुआत प्रेम दिवस से ही करें तो क्या हर्ज है?
Friday, February 13, 2009
वैलेंटाइन डे
Wednesday, February 11, 2009
क्यों मनाया जाता है वेलेंटाइन डे
रोम में तीसरी शताब्दी में सम्राट क्लॉडियस का शासन था। उसके अनुसार विवाह करने से पुरूषों की शक्ति और बुद्धि कम होती है। उसने आज्ञा जारी की कि उसका कोई सैनिक या अधिकारी विवाह नहीं करेगा। संत वेलेंटाइन ने इस क्रूर आदेश का विरोध किया। उन्हीं के आह्वान पर अनेक सैनिकों और अधिकारियों ने विवाह किए। आखिर क्लॉडियस ने 14 फरवरी सन् 269 को संत वेलेंटाइन को फाँसी पर चढ़वा दिया। तब से उनकी स्मृति में प्रेम दिवस मनाया जाता है।
जब प्यार बन जाए जिंदगी
प्यार का हकीकत बन जिंदगी में रस घोलना केवल किस्मतवालों के साथ ही होता है। बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जो सही समय पर सही फैसला लेकर अपने प्यार को अपना लेते हैं वरना कई लोग तो बदनामी के डर से उसे बीच राह में ही छोड़कर किनारा कर लेते हैं। कहते हैं जब प्यार हो ही गया है तो उसे जमाने से छिपाने से क्या फायदा? जमाने के डर से अगर आपने अपने प्यार का इजहार नहीं किया तो कहीं ऐसा न हो जाए कि आपका प्यार आपका इंजार करते-करते मायूस होकर अपना इरादा न बदल दे।
न्यायाधीश को पत्र
अपराधियों का न्यायाधीश को पत्र .... अपराधियों ने न्यायाधीशों की कमी के कारण अदालतों में लंबित फैसलों पर रोष जताया। उन्होंने माँग की कि उन पर वर्षों से लंबित मुकदमों का तुरंत निबटारा करके गवाहों के अभाव में उन्हे दोष मुक्त किया जाए, जिससे वे निर्विघ्न नए अपराध कर सके।
Friendship
Friendship opens many doors, Each with a different view. But none could be more beautiful, than the one that leads to you..!!
गुण
तिथि अनुसार आहार-विहार
1- प्रतिपदा को कुष्माण्ड (कुम्हड़ा पेठा) न खाएँ क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है। 2. द्वितीया को छोटा बैंगन व कटहल खाना निषेध है। 3. तृतीया को परमल खाना निषेध है क्योंकि यह शत्रुओं की वृद्धि करता है। 4. चतुर्थी के दिन मूली खाना निषेध है, इससे धन का नाश होता है। 5. पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। अत: पंचमी को बेल खाना निषेध है।
6. षष्ठी के दिन नीम की पत्ती खाना, एवं दातुन करना निषेध है। क्योंकि इसके सेवन से एवं दातुन करने से नीच योनि प्राप्त होती है। 7. सप्तमी के दिन ताड़ का फल खाना निषेध है। इसको इस दिन खाने से रोग होता है। 8. अष्टमी के दिन नारियल खाना निषेध है क्योंकि इसके खाने से बुद्धि का नाश होता है। 9. नवमी के दिन लौकी खाना निषेध है क्योंकि इस दिन लौकी का सेवन गौ मांस के समान है।10. दशमी को कलंबी खाना निषेध है। 11. एकादशी को सेम फली खाना निषेध है।12. द्वादशी को (पोई) पुतिका खाना निषेध है। 13. तेरस (त्रयोदशी) को बैंगन खाना निषेध है। 14. अमावस्या, पूर्णिमा, सक्रांति, चतुर्दशी और अष्टमी, रविवार श्राद्ध एवं व्रत के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना निषेध है। 15. रविवार के दिन अदरक भी नहीं खाना चाहिए। 16. कार्तिक मास में बैंगन और माघ मास में मूली का त्याग करना चाहिए।17. अंजली से या खड़े होकर जल नहीं पीना चाहिए। 18. जो भोजन लड़ाई झगड़ा करके बनाया गया हो, जिस भोजन को किसी ने लाँघा हो तो वह भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि वह राक्षस भोजन होता है।19. जिन्हें लक्ष्मी प्राप्त करने की लालसा हो उन्हें रात में दही और सत्तू नहीं खाना चाहिए। यह नरक की प्राप्ति कराता है।
6. षष्ठी के दिन नीम की पत्ती खाना, एवं दातुन करना निषेध है। क्योंकि इसके सेवन से एवं दातुन करने से नीच योनि प्राप्त होती है। 7. सप्तमी के दिन ताड़ का फल खाना निषेध है। इसको इस दिन खाने से रोग होता है। 8. अष्टमी के दिन नारियल खाना निषेध है क्योंकि इसके खाने से बुद्धि का नाश होता है। 9. नवमी के दिन लौकी खाना निषेध है क्योंकि इस दिन लौकी का सेवन गौ मांस के समान है।10. दशमी को कलंबी खाना निषेध है। 11. एकादशी को सेम फली खाना निषेध है।12. द्वादशी को (पोई) पुतिका खाना निषेध है। 13. तेरस (त्रयोदशी) को बैंगन खाना निषेध है। 14. अमावस्या, पूर्णिमा, सक्रांति, चतुर्दशी और अष्टमी, रविवार श्राद्ध एवं व्रत के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना निषेध है। 15. रविवार के दिन अदरक भी नहीं खाना चाहिए। 16. कार्तिक मास में बैंगन और माघ मास में मूली का त्याग करना चाहिए।17. अंजली से या खड़े होकर जल नहीं पीना चाहिए। 18. जो भोजन लड़ाई झगड़ा करके बनाया गया हो, जिस भोजन को किसी ने लाँघा हो तो वह भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि वह राक्षस भोजन होता है।19. जिन्हें लक्ष्मी प्राप्त करने की लालसा हो उन्हें रात में दही और सत्तू नहीं खाना चाहिए। यह नरक की प्राप्ति कराता है।
वेदों में विवाह के कुछ खास नियम
NDविवाह के पश्चात ही पुरुष पुरुषत्व को प्राप्त होता है। विवाह होने पर पूर्ण पुरुष होता है और सदाचारी संतान उत्पन्न करके देश, धर्म, जाति सेवा के साथ देव, ऋषि, पितृऋण से भी उन्मुक्त हो सकता है। विवाह संस्कार सर्वश्रेष्ठ संस्कार है। इससे मनुष्य धर्म-अर्थ-काम और मोक्ष की सिद्धि कर सकता है।इस संस्कार को मुनियों ने श्रेष्ठ बताया है। यह संस्कार योग्य समय में होने पर ही दाम्पत्य सुख, ऐश्वर्य भोग और उत्तम प्रजोत्पादन करके मनुष्य अपने पितृ ऋण से मुक्त होता है। सर्वकाल विवाह के लिए शुभ मानकर चाहे जब रजिस्टर पद्धति से कोर्ट में जाकर तथा कपोल-कल्पित नियमानुसार विवाह करवा लेते हैं। यह सर्वथा अनुचित है। विवाह के लिए वेदों में भी पर्याप्त निर्णय है।
Friday, February 6, 2009
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